सावन चढ़ल महीना बड़ा सुहावन रे हरी ! अरे रामा... ।। सावन चढ़ल महीना बड़ा सुहावन रे हरी ! अरे रामा... ।।
सबके मन को महकाए रात रानी रे, रातरानी नहीं वह राजरानी रे। सबके मन को महकाए रात रानी रे, रातरानी नहीं वह राजरानी रे।
बेटियाँ हजारी की फूल हैं जो खिली रहती हैं हर घर के आंगन में बेटियाँ हजारी की फूल हैं जो खिली रहती हैं हर घर के आंगन में
ठोकर खाता हूं उठता हूँ फिर भी चलता जाता हूँ। ठोकर खाता हूं उठता हूँ फिर भी चलता जाता हूँ।
कठपुतली -सा नचायेगा वही जिसके हाथ में धागे होंगे। कठपुतली -सा नचायेगा वही जिसके हाथ में धागे होंगे।
सिर्फ़ दोस्त तेरी कला से मैं लिख रहा हूं दोस्त सिर्फ़ तेरी प्रेरणा से। सिर्फ़ दोस्त तेरी कला से मैं लिख रहा हूं दोस्त सिर्फ़ तेरी प्रेरणा से।